قوله: (من وطءٍ) يعني: من الزوج مع علمه بعيبِها. قوله: (أو تمكينٍ) أي: منها. قوله: (ويصحُّ مع غيبةِ زوجٍ) والأولى مع حضوره. قوله: (فإن فُسخَ) أي: منه، أو منها. قوله: (فلا مهر) أي: ولا متعة. قوله: (ويرجع به) أي: الزوج حيث غرم لا إن أبريء. قوله: (عاقلةٍ) ظاهره: ولو دون البلوغ، حيث كانت مميِّزة، بخلاف طفلةٍ، ومجنونةٍ. قوله: (في عدم علمٍ به) يعني: حيث لا بينة بعلمه، وكذا هي، يقبل قولها في عدم علمها بعيبها إن احتمل. ذكره الزركشي. منصور البهوتي.