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{ولا تطع منهم آثما أو كفورا} إذ المعنى: لا تطع أحدهما، فأيهما فعله فهو أحدهما، وتلخيصه: أنها تدخل للنهي عما كان مباحا، وكذا حكم النهي الداخل على التخيير». وفي الدماميني: لا تأخذ من مالي دينارا أو درهما.

وانظر الرضي ٢: ٣٤٤.

[[أو] بعد الاستفهام]

وقعت [أو] بعد الاستفهام في آيات كثيرة، وهي في جميع مواقعها لأحد الأمرين.

انظر هذه المواضع:

٣: ١٤٤، ٦: ٢١، ٩٣، ٧: ٣٧، ١٠: ١٧، ١١: ٨٧، ١٢: ١٠٧، ١٦: ٣٣، ٤٤، ٤٥، ٤٦، ٤٧، ١٧: ٦٨، ١٩: ٩٨، ٢٦: ٧٣، ٩٣، ٢٩: ٦٨، ٣٣: ١٧، ٣٩: ٣٨، ٤٣: ٤٠، ٤٨: ١١، ٦٧: ٢٨.

[[أو] بعد العرض]

٢: ١١٨، ١١: ١٢، ٢٥: ٧، ٨، ٢١، ٤٣: ٥٣.

[[أو] بعد النهي]

٢: ٢٨٢، ٢٨٦، ٣: ٧٣، ٢٤: ٣١، ٧٦: ٢٤.

[[أو] بعد الترجي]

بعد [لعل] ٢٠: ١٠، ٤٤، ١١٣، ٢٨: ٢٩، ٨٠: ٤.

بعد [عسى] ٥: ٥٢، ١٢: ٢١، ٢٨: ٩.

[[أو] بعد الأمر]

٢: ١٣٥، ٢٣١، ٣: ١٦٧، ٤: ٦٦، ٨٦، ٥: ٤٢، ٨: ٣٢، ١٠: ١٥، ١٧: ١٠٧، ٢٩: ٢٤، ٣٨: ٣٩، ٤١: ١١، ٤٦: ٤، ٥٢: ١٦، ٦٥: ٢،

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